*माता वरलक्ष्मी की षोडशोपचार पूजा कर सुहागिनों ने मांगा मनचाहा वर*

तिरुमला तेलुगु महिला समाज ने भक्तिभाव से मनाया वरलक्ष्मी व्रतोत्सव

मेघा तिवारी की रिपोर्ट

भिलाई नगर।छत्तीसगढ़ सेक्टर 2 स्थित अय्यप्पा मंदिर में शुक्रवार को तिरुमला तेलुगु महिला समाज के बैनर तले दक्षिण भारत का एक महत्वपूर्ण धार्मिक त्यौहार वरलक्ष्मी व्रतोत्सव भक्तिभाव से मनाया गया। व्रतोत्सव में शामिल महिलाओं ने धन, संपदा, शांति और समृद्धि की देवी माता वरलक्ष्मी का व्रत रखकर पति और अपने परिवार के वैभव, दीर्घायु, खुशहाली और संतानों के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। देवी लक्ष्मी को समर्पित व्रतोत्सव का यह दूसरा वर्ष है। इस शुभ अवसर पर महिलाओं ने देवी लक्ष्मी से मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए पारंपरिक वेशभूषा में कुमकुम पूजा की और साथ ही ललिता सहस्त्रनाम का पाठ भी किया।

*माता के अप्रतिम सौंदर्य के हुए दर्शन*

तिरुमला समाज की अध्यक्ष एवं पूर्व पार्षद टी जयारेड्डी की अगुवाई में मनाए गए व्रतोत्सव को़ आरंभ करने से पहले पंडित एनपी राममूर्ति शर्मा ने पूजा-स्थल को गंगाजल छिड़क कर शुद्ध किया और उसके बाद चंदन, कुमकुम, पुष्प और अक्षत भरे कलश को बीचों-बीच स्थापित किया। एक वेदी भी स्थापित की गई, जिस पर नूतन वस्त्रों, आभूषणों, फूलों सहित विभिन्न अलंकारों से सुसज्जित देवी लक्ष्मी की मूर्ति को वैदिक मंत्रों के उच्चारण के बीच प्रतिष्ठित कर सनातन पद्धति से अभिषेक किया गया। मूर्ति-स्थापना के उपरांत पंडित ने षोडशोपचार पूजा कराई और अंत में महाआरती की। षोडशोपचार पूजा में देवी-देवताओं को सोलह प्रकार के उपचार दिए जाते हैं। इस मौके पर जहां समाजसेवक तरुण शर्मा ने एक विकलांग व्यक्ति को व्हील चेयर देने के लिए आर्थिक सहायता दी, वहीं जे ललिता ने देवी अलिवेलि मंगम्मा का भक्ति-गीत गाया।

*चारुमती की कथा का श्रद्धापूर्वक श्रवण*

व्रतोत्सव में पंडित ने महिलाओं को देवी वरलक्ष्मी की कथा सुनाई और उन्हें व्रत की विधि भी बताई। पौराणिक कथा के अनुसार एक ब्राह्मण पतिव्रता स्त्री चारुमती पति और सास-ससुर के प्रति दायित्वों का निर्वाह करते हुए नियमित रूप से माता लक्ष्मी की आराधना करती थी। आराधना से प्रसन्न होकर एक बार माता लक्ष्मी स्वप्न में चारुमती के समक्ष प्रकट हुईं और कहा कि श्रावण पूर्णिमा के कुछ दिन पहले उनका व्रत रखने से वह मनोवांछित फल प्राप्त कर सकती है। उसने परिजनों को स्वप्न के बारे में बताया, परिजनों ने भी चारुमती को वरलक्ष्मी का व्रत रखने के लिए प्रोत्साहित किया। ऐसी मान्यता है कि तब से श्रावण पूर्णिमा से कुछ दिन पहले महिलाएं माता वरलक्ष्मी का व्रत रखती हैं।

*नैवेद्य के रूप में 21 प्रकार के लगे भोग*

इस धार्मिक अनुष्ठान में नैवेद्य के रूप में दक्षिण भारत के लोकप्रिय व्यंजनों लौंगलता, पुलिहारा, अर्सुलु, चंपंग फूल, मैसूर पागम सहित 21 तरह के भोग लगाए गए। अनुष्ठान में मुख्य यजमान के तौर पर डॉ नेहा गुप्ता बैठीं। इस अवसर पर टी जयारेड्डी ने अतिथियों का सम्मान भी किया, जिनमें डॉ संगीता सिन्हा, अनुभव जैन, दीपक मिश्रा, राकेश कुमार शुक्ला, के लक्ष्मी नारायण खास तौर पर शामिल थे। इस उत्सव में बीवी बसवम्मा, विजयालक्ष्मी, बी उषा, पद्माराव, रमादेवी, रेखाराव, उमा, एस ईशा, वकुलाराव, के शारदा, यू नमिता, एस ललिता, रंजू रेड्डी, एस दमयंती राव, एम भवानी, देवी रेड्डी, राजेश्वरी, पी लक्ष्मी, के सुनीता, बी तुलसी समेत सत्तर से ज्यादा महिलाएं शामिल हुईं।