नुपूर शर्मा की टिप्पणी पर अरब के मौलाना ने कहा नुपूर ने सही कहा, लगाई मौहर, क्या अब मौलाना पर…

डाॅ.चेतन ठठेरा/ मेघा तिवारी

 

नई दिल्ली/ भाजपा की पूर्व प्रखर प्रवक्ता नुपूर शर्मा द्वारा एक टीवी चैनल पर डिबेट के दौरान इस्लाम के पैंगबर मोहम्मद साहब पर की गई टिप्पणी को लेकर देश और दुनिया मे बवाल मचा, मुस्लिम समुदाय सडको पर आ गया उसी टिप्पणी को सऊदी अरब के प्रख्यात मौलाना ने सही करार देते हुए मोहर लगाई है । अब सवाल उठता है की क्या अब इन सऊदी अरब के मौलाना साहब के खिलाफ…

विदित है कि ज्ञानवापी शिवलिंग मामले में 26 मई 2022 की शाम को टाइम्स नाउ पर एक बहस हुई थी। इस डिबेट में नुपूर ने ज्ञानवापी के शिवलिंग पर मजाक बनाने वाले से सवाल किया था कि जैसे उनके भगवान का मजाक उड़या जा रहा है, क्या वो भी दूसरे मजहब पर इस तरह बात रख सकती हैं? उसके बाद कुरान और हदीसों का हवाला देकर पैगंबर के निकाह का जिक्र किया। इसी के बाद AltNews के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने नुपूर शर्मा पर पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने का आरोप लगाते हुए एक ऑनलाइन कैंपेन चलाया था। इसी कैंपेन के बाद कट्टरपंथी नुपूर को और उनके परिवार को जान से मारने और रेप की धमकियाँ दे रहे थे। वहीं, कुछ कट्टरपंथियों ने नूपुर की हत्या करने वाले को इनाम देने का ऐलान किया था।

 

सऊदी अरब के मौलाना अस्सीम अल हकीम से ट्विटर पर मौलाना फयाज नाम के यूजर ने पूछा, “भारत में यह कहा जाता है कि पैगंबर मुहम्मद ने 6 साल की उम्र में आयशा से निकाह किया और 9 साल की उम्र में हमबिस्तरी की। क्या यह सच है? कृपया स्पष्ट करें।”

 

इसका जवाब मौलाना अस्सीम अल हकीम ने हाँ में दिया। उन्होंने मौलाना फयाज नाम के यूजर के प्रश्न का जवाब देते हुए कहा, “यह सौ फीसदी सच है।”

 

 

अमांडा फ्यगेरा नाम की एक पत्रकार ने अल हकीम से पूछा कि क्या यह सच है, “आयशा जब पैगंबर के पाई थी वह 9 साल की थी? मैं इन्वेस्टिगेशन को पढ़ रही

हूँ और उसमें कहा गया है कि उस समय वह 17 साल की थी।”

 

इस पर मौलाना अल हकीम ने कहा, “ये सब झूठ है! आयशा ने खुद हमें (मुस्लिमों को) बताया था कि वह नौ साल की थी! यह सही बुखारी और अन्य हदीसों में भी है।”

 

 

हदीस अल बुखारी है क्या

 

हदीस अल बुखारी इस्लाम में कुरान के बाद दो सबसे भरोसेमंद हदीसों में से एक है। इसे पैैगंबर के मौत के लगभग 200 साल बाद यानी 846 ईस्वी में मौलाना बुखारी (पूरा नाम- अबू अब्दुल्लाह मुहम्मद बिन इस्माईल बिन इब्राहिम बिन अल-मुघिरा अल-जाफा) द्वारा संकलित किया गया था।

 

कहा जाता है कि इसे संकलित करने में उन्होंने 16 साल लगाए थे। इसको संकलित करने के लिए उन्होंने लगातार यात्राएँ की थी। बुखारी का जन्म वर्तमान ईरान (तब फारस) में हुआ था। अल बुखारी की आयतों पर मुस्लिमों का पूर्ण विश्वास होता है।

 

 

 

कौन है मौलाना अल हकीम

 

 

अल हकीम वही मौलाना हैं, जिन्होंने साल 2020 में कहा था कि इस्लाम में विरोध प्रदर्शन और धरना आदि की इजाजत नहीं है। यह हराम है। अल हकीम ने लोकतंत्र को भी इस्लाम विरोधी बताया था। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र इस्लामी शरीया के खिलाफ है।

 

इन्ही मौलाना ने नवरात्री को ‘कुफ्र (काफिरों द्वारा किया जाने वाले कार्य)’ बताते हुए साल 2021 में कहा था कि अगर किसी मुस्लिम व्यक्ति की बीवी इसमें हिस्सा लेती है या फिर उपवास रखती है तो उसे तुरंत तलाक दे देना चाहिए। मौलाना बिटकॉइन को भी हराम बता चुका है।

 

मौलाना असीम अल हकीम सऊदी अरब में जाना-पहचाना नाम है और वो अक्सर टीवी व रेडियो के जरिए अंग्रेजी व अरबी में इस्लाम के बारे में बताते है। ‘हुडा टीवी’ और जाकिर नाइक की ‘पीस टीवी’ के माध्यम से वह कुरान और हदीथ पढ़ाते है। उन्होने ‘किंग अब्दुल अजीज यूनिवर्सिटी’ से ‘भाषा विज्ञान’ में स्नातक कर रखा है।

 

नुपूर की टिप्पणी के बाद दुनिया और देश मे मचा था कोहराम

 

नूपुर शर्मा ने जब एक टीवी डिबेट के दौरान यह बात कही तो सऊदी अरब, कतर, कुवैत, ईरान जैसे कई मुस्लिम मुल्कों ने भारत पर निशाना साधकर कर अपना दोहरा चरित्र जाहिर किया था। इन मुल्कों ने इस पैगंबर का अपमान बताया था। बाद में सरकार ने नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल को पार्टी से निकाल दिया था । इतना ही नहीं, पैगंबर के इस कथित अपमान को लेकर देश भर में दंगे किए गए थे। कानपुर से लेकर हैदराबाद और बिहार तक मुस्लिमों की भीड़ ने पत्थरबाजी, आगजनी, हिंसा और सुरक्षा बलों पर हमला किया था। इसे पूरे देश में बड़े ही सुनियोजित ढंग से लागू किया गया था। अब सवाल यह उठता है की नुपूर की जिस टिप्पणी को लेकर दुनिया भर मे और देश मे बवाल मचा था उसी टिप्पणी को इस्लाम के ही मौलाना ने सही करार दिया है तो क्या मुस्लिम समुदाय अब मौलाना के खिलाफ….

 

 

सवाल यह भी, फिर …

 

सऊदी अरब के मौलाना असीम अल हकीम की ताहीद के अनुसार नुपुर की टिप्पणी सही है तो फिर यह बवाल क्यो ? क्यो इसे राजनैतिक रंग दिया जा रहा है ? क्यो देश मे नफरत का जहर पैदा किया जा रहा है ? देश का आम नागरिक वह चाहे हिन्दू हो या मुसलमान षमझ नही रहा की इस बवाल, दंगे नफरत के पीछे क्या वजह है ? मौलाना अल हकीम की सच्चाई और इतिहास को क्यो नही किया जा रहा स्वीकार ?क्यो आज की युवा पीढी को बहकाया जा रहा है और क्यो नही समझ रही है युवापीढी इन चालों को ? क्यो कर रही है अपना भविष्य खराब ? ऐसे कई सवाल है जिन पर चिंतन और मनन करना होगा