पिंक फिल्म की कहानी याद है आपको? एक टीनएज युवती अपने पुरुष मित्र के साथ बहुत ज्यादा घुल मिल जाती है. वह उसके साथ खुलकर बातें करती हैं. एक-दूसरे के साथ पार्टी में भी जाती हैं. एक दिन पार्टी में पुरुष मित्र युवती के घुलने मिलने को उसकी सेक्स की इच्छा समझ लेता है. युवती ना कहती हुई थक जाती है लेकिन पुरुष मित्र को लगता है उसकी ना में भी हां है. यही से शुरू होती है युवती के पीड़ा की कहानी. फिल्म इस बात पर मजबूती के साथ जोर देती है कि महिलाओं के ना का मतलब ना ही है. ना को हां समझने की भूल नहीं की जा सकती.

इस फिल्म का प्रभाव लोगों पर कितना हुआ, इस बात का अंदाजा व्यापक पैमाने पर तो नहीं लगाया जा सकता है लेकिन कम से कम केरल ऐसा राज्य है जहां के पुरुषों में इस बात का सलीका जागा है कि महिलाओं के ना का मतलब ना ही है. यह बात भारत सरकार के पारिवारिक सर्वे रिपोर्ट में सामने आई है.

सेक्स के लिए इंकार करने का पूरा हक
केरल में महिलाओं से ज्यादा पुरुषों की यह चाहत है कि सेक्शुअल रिलेशनशिप के दौरान महिलाओं की रजामंदी ज्यादा जरूरी है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट 2019-20 के मुताबिक केरल के 75 प्रतिशत पुरुषों का मानना है कि अगर महिला का मूड नहीं है, वह थकी हुई हैं, उसका पति बेवफा है या पति को यौन जनित बीमारी है तो पत्नी को इस बात का पूरा हक है वह सेक्स के लिए ना कहे. दूसरी तरफ इस मामले में 72 प्रतिशत महिलाओं को ही लगता है कि पत्नी द्वारा सेक्स के लिए इंकार न्यायसंगत है.

पुरुष बेवफाई करने में भी पीछे नहीं सर्वे में समाज की दकियानूस प्रथा को आज भी कुछ महिलाएं ही ज्यादा सही मानती है. रिपोर्ट के मुताबिक 13.1 प्रतिशत शादी-शुदा महिलाएं आज भी सेक्स से इंकार करने पर पति द्वारा पत्नी की पिटाई को उचित मानती हैं. वहीं दूसरी ओर सिर्फ 10.4 प्रतिशत पुरुष ही पत्नी की पिटाई को न्यायोचित मानते हैं. इस मामले में सिर्फ 8.1 प्रतिशत अनमैरिड लड़कियां ही ऐसी थीं जिन्होंने सेक्स से इंकार करने पर पत्नी की पिटाई को जायज ठहराया.
पत्नी द्वारा सेक्स से इंकार किए जाने पर पुरुषों का नजरिया भले ही पिटाई के खिलाफ हो लेकिन इस स्थिति में बेवफाई को अधिकांश पुरुषों ने जायज करार दिया है. सर्वे के मुताबिक 31 प्रतिशत पुरुषों ने कहा कि अगर पत्नी सेक्स से इंकार करती हैं तो उसे अन्य महिला के साथ यौन संबंध बनाने का अधिकार है.