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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) की 50 वीं वर्षगांठ समारोह की शुरुआत करने के लिए हैदराबाद जाएंगे। इस दौरान पीएम 216 फुट ऊंची ‘स्टैचू ऑफ इक्वैलिटी’ का भी अनावरण करेंगे।

 

प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा, “216 फुट ऊंची स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी 11वीं सदी के भक्ति संत श्री रामानुजाचार्य की याद में बनाई गई है, जिन्होंने जीवन के सभी पहलुओं में समानता के विचार को बढ़ावा दिया। यह मूर्ति ‘पंचलोहा’ से बनी है। पांच धातुओं में सोना, चांदी, तांबा, पीतल और जस्ता का संयोजन है।” आपको बता दें कि प्रतिमा का उद्घाटन 12-दिवसीय श्री रामानुज सहस्रब्दी समारोह का एक हिस्सा है।

पीएमओ ने कहा, “यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री आईसीआरआईएसएटी की 50 वीं वर्षगांठ समारोह की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री पौध संरक्षण पर ICRISAT की जलवायु परिवर्तन अनुसंधान सुविधा और ICRISAT की रैपिड जनरेशन एडवांसमेंट सुविधा का भी उद्घाटन करेंगे।” ये दो सुविधाएं एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के छोटे किसानों को समर्पित हैं। इस अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया जाएगा।

कौन थे रामानुजाचार्य?

1017 में तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में जन्मे रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक के तौर पर प्रसिद्ध हैं। उन्होंने समानता और सामाजिक न्याय की वकालत करते हुए पूरे भारत की यात्रा की। रामानुज ने भक्ति आंदोलन को पुनर्जीवित किया। उन्होंने अपने उपदेशों से अन्य भक्ति विचारधाराओं को प्रेरित किया। उन्हें अन्नामाचार्य, भक्त रामदास, त्यागराज, कबीर और मीराबाई जैसे कवियों के लिए प्रेरणा माना जाता है।

जब से वे एक युवा नवोदित दार्शनिक थे, रामानुज ने प्रकृति और उसके संसाधनों जैसे हवा, पानी और मिट्टी के संरक्षण की अपील की। उन्होंने नवरत्नों के नाम से जाने जाने वाले नौ शास्त्रों को लिखा और वैदिक शास्त्रों पर कई टिप्पणियों की रचना की। रामानुज को पूरे भारत में मंदिरों में किए जाने वाले अनुष्ठानों के लिए सही प्रक्रियाओं को स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है, जिनमें सबसे प्रसिद्ध तिरुमाला और श्रीरंगम हैं।