सनातन परंपरा में भगवान सूर्य ऐसे देवता हैं, जिनके दर्शन हमें प्रतिदिन प्रत्यक्ष रूप से होते हैं. सूर्य की साधना अत्यंत सरल और शीघ्र फलदायी मानी गई है. जिस तरह से सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए जप, तप अघ्र्य आदि किया जाता है, कुछ वैसे ही रविवार के दिन रखा जाने वाला व्रत भी शीघ्र ही उनकी कृपा दिलाता है. ज्योतिष के अनुसार जिन लोगों की कुंडली में सूर्य अशुभ फल देते हुए तमाम तरह के कष्टों का कारण बन रहे हों, उन्‍हें सूर्य देव की कृपा पाने और उसे कुंडली में मजबूत बनाने के लिए सूर्यदेव का व्रत करना चाहिए. आइए सूर्य की कृपा दिलाने वाले रविवार व्रत की विधि और उसके बड़े लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं.

रविवार व्रत करने के लाभ
रविवार का व्रत रखने से सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती है. मान्यता है कि सूर्यदेव के इस व्रत को करने से न सिर्फ सुख, समृद्धि और सेहत का वरदान प्राप्त होता है, बल्कि नेत्र संबंधी सभी विकार दूर होते हैं. सूर्यदेव का व्रत रखने से मनुष्य का तेज, बल, यश बढ़ता और उसके त्वचा संबंधी संबंधी सभी रोग दूर होते हैं. अथर्ववेद में सूर्य चिकित्सा का वर्णन करते हुए बताया गया है कि सूर्य की रश्मियों के द्वारा विभिन्न रोग दूर होते हैं.

सूर्य साधना की पौराणिक कथा
सूर्य की साधना से मिलने वाले आशीर्वाद से मिलने वाली कृपा का वर्णन हमारी पौराणिक कथाओं में मिलता है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब तपस्यारत दुर्वासा ऋषि की क्षीण काया को देखकर उनका उपहास करने की भूल कर बैठे. जिस पर क्रोधित होकर दुर्वाषा ऋषि ने कुष्ठ रोगी हो जाने का शाप दे दिया. कहते हैं कि तमाम औषधियों के सेवन के बाद भी साम्ब को जब कोई लाभ नहीं हुआ तो वे भगवान श्रीकृष्ण से अपने रोग की मुक्ति का उपाय पूछने गये.

जिस भगवान श्रीकृष्ण ने साम्ब को सूर्योपासना करने का निर्देश दिया. इसके बाद साम्ब पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिये कठोर तप किया. जिसके फलस्वरूप सूर्यदेव ने उन्हें कुष्ठरोग से मुक्ति का वरदान दिया. इसके बाद साम्ब ने चन्द्रभागा नदी के तट पर सूर्यदेव का भव्य मंदिर बनवा कर उनकी अति सुंदर मूर्ति की प्रतिष्ठा भी की.

रविवार व्रत विधि सूर्यदेव की कृपा पाने के लिए रविवार का व्रत किसी भी मास के शुक्लपक्ष से प्रारंभ करें और इसे कम से कम 12 व्रत जरूर करें. रविवार के दिन स्नान-ध्यान के बाद सूर्यदेव की विधि-विधान से पूजा करें और रविवार व्रत की कथा पढ़ें. इसके बाद सूर्यदेव को अक्षत, रोली और लाल फूल को जल में डालकर अर्पित करें.

इसके बाद अपने स्थान पर तीन बार प्रदक्षिणा करें. रविवार के व्रत में नमक का सेवन न करें और इस दिन सिर्फ गेहूं की रोटी या गेहूं का दलिया गुड़ डाल कर प्रसाद के रूप में सेवन करें. जब आपके सारे व्रत पूरे हो जाएं तो अंतिम रविवार व्रत वाले दिन कम से कम चार ब्राह्मण को बुलाकर भोजन कराएं और फल-फूल आदि के साथ दक्षिणा देकर विदा करें.

 

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