CSEB में मीटर घोटाला, पैसे कमाने का सबसे अच्छा माध्यम बन गया है। इसमें अधिकारियों द्वारा की गई छापेमारी के बाद जब उपभोक्ताओं पर लाखों की पेनाल्टी लगाई जाती है तब वसूली की बजाय स्थानीय अधिकारियों द्वारा मीटर को ख़राब बताकर तत्काल बदल दिया जाता और उपभोक्ता से एडजस्टमेंट के नाम पर पेनाल्टी को कम करके अपनी जेब में रख लिया जाता है।

ऐसा करके जिलों में अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपयों के राजस्व की अफरा-तफरी कर ली गई। बचा लिया गया बड़े अधिकारियों को

करोड़ों रुपयों के इन घोटालों पर नजर डालें तो इनमे विभाग द्वारा छोटे अधिकारियों और कर्मचारियों पर ही गाज गिराई गई और बड़े अधिकारियों को छोड़ दिया गया, जबकि इनमें अधिकारियों की संलिप्तता साफ़ नजर आती है।

दरअसल बिजली कार्यालयों में कमाई के सारे हथकंडे अधिकारियों को पता होते हैं और उनके संरक्षण में ही सारी गड़बड़ियां होती हैं, मगर जब मामला उजागर होता है, तब छोटे अधिकारियों-कर्मचारियों को फांस दिया जाता है। इस तरह की गड़बड़ियों के पीछे अधिकारियों की पूरी लापरवाही भी होती है मगर अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर उन्हें बख्श दिया जाता है।

विद्युत् मंडल में अधिकारियों की लापरवाही के चलते 6 वर्षों में 7 करोड़ 10 लाख रूपये का हुआ गबन, FIR की कार्रवाई अब भी है लंबित…

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