संदर्भ: छत्तीसगढ़ के मंडल,निगम,आयोग की पहली सूची,
दूसरी पारी में भाजपा ने सुधारी पहली पारी की गलती।
भाजपा सरकार की दूसरी पारी में घोषित बहुप्रतीक्षित 36 निगम मंडल और आयोग की सूची में उम्मीद के मुताबिक उन चेहरों को स्थान मिला है जो 2019 से लेकर 2025 के बीच विपक्ष के कार्यकाल और सत्ता आने तक संगठन द्वारा दी गई हर जिम्मेदारियां में पूरी तरह खरे उतर कार्यकर्ताओं को सहेज कर रखने में सफल रहे हैं। इस सूची में तात्कालिक लाभ के बजाय उन संगठन और दायित्व प्रभारी को तरजीह दी है जिन्होंने विधानसभा और लोकसभा के साथ पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में असंतोष के बावजूद भी कार्यकर्ताओं को साधने और बांधने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को कामयाबी से निभाया है। भूपेन सवननी,संजय श्रीवास्तव ,अनुराग सिंहदेव, राजा पांडे सहित कई और ऐसे कर्मठ चेहरे हैं जिन्होंने सत्ता आने के पहले और बाद में भी विधायक और सांसद की दावेदारी छोड़ संगठन को समर्पित किया। और पार्टी के निर्देशों पर प्रभारी तथा सह प्रभारी के रूप में कार्यकर्ताओं को अर्जित और संगठित रख जिला और संभाग स्तर पर पार्टी व्यक्ति के बजाय पार्टी को ऊपर रखने का काम किया। ऐसे चेहरे को मिला दे तो अब सत्ता और संगठन के बीच भी नए संतुलन का काम करेगा जहां कार्यकर्ता भी पहले से जारी सीधे संवाद सत्ता आने के बाद भी जारी रख सकेंगे। कार्यकर्ताओं के बीच 90 की दशक से गहरी पकड़ बनाए रखने वाले पूर्व संगठन मंत्री राम प्रताप सिंह और उत्तर छत्तीसगढ़ के सक्रिय संघ प्रचारक सुरेंद्र सिंह बेसरा को दूसरी बार लाल बत्ती दे उन्हें उत्तर और मध्य छत्तीसगढ़ में सक्रिय रखने संकेत भी इस सूची में दे यह बताने की कोशिश है कि जिन्होंने विपरीत समय में भी छत्तीसगढ़ में संगठन को संभाल के रखा उन्हें भी वे नहीं भूल पाए हैं । उत्तर छत्तीसगढ़ में पूर्व मंत्री राम सेवक पैकरा को सरगुजा में गोंड, कंवर संतुलन के साथ कद्दावर मंत्री रामविचार नेताम को बैलेंस रखने तो प्रदेश प्रवक्ता अनुराग सिंह को सरगुजा के साथ मध्य छत्तीसगढ़ में सक्रिय और उपयोगी भूमिका निभाने का इनाम मिला है। उत्तर छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में ऐसे कई चेहरे इस सूची से बाहर रहे जो सत्ता आने के बाद अवसरवादी कहा है और कम तथा मंत्रियों के नाम पर अपनी राजनीति दोबारा चमकाने का प्रयास कर रहे थे पहली पारी के मुकाबले दूसरी पारी में भाजपा ने ऐसे सभी अवसर वीडियो से पहली सूची में पर परहेज किया है साथ ही दूसरी सूची के लिए यह संकेत भी दिया है कि शेष बचे पार्टी के समर्पित और सक्रिय चेहरों को भी शायद निराश ना होना पड़े बीते 10 वर्षों में भाजपा ऐसे ही नए और पुराने चेहरे के संघर्षों के बीच जूझ रही थी । 2003 से 2019 के बीच भाजपा में नए चेहरों के घुसपैठ के बाद उपज यही असंतोष छत्तीसगढ़ में सबसे करारी हार का प्रमुख वजह बन जिसमें भाजपा भाजपा के प्रभारी पर गैर छत्तीसगढ़ियों को अवसर देने और कर्मठ लोगों को पीछे धकेलना का आरोप भी खुलकर लगा।माना जा रहा है किपहली सूची में अचानक पार्टी पर हावी हुई लोगों को दरकिनार कर उसे भूलको सुधारने का प्रयास है, जिसमें संगठन पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मनमर्जी से प्रत्याशी तय करने का आरोप लग रहा था और सत्ता में आने के बाद पार्टी के मैदानी चेहरे इसकी खुलकर मुखालफत भी कर पार्टी पर कांग्रेसीकरण का आरोप भी लगा रहे थे। इन नियुक्तियों ने फिलहाल मैदानी कार्यकर्ताओं को और मुखर होने से रोक दिया है और संगठन की कोशिश दिख रही है कि वह संभाग और जिलों में कार्यकर्ताओं से सीधे संवाद करने वाले ये प्रभारी मंत्री का दर्ज़ा प्राप्त कर संगठन के साथ सत्ता के प्रभार में कार्यकर्ताओं और पार्टी के बीच संवाद सेतु बना और ऐसे किसी असंतोष को अब पार्टी तक भी पहुंचने का प्रयास करेंगे जिसके अभाव में 15 वर्ष पूर्व भाजपा को करारी मात खानी पड़ी थी। यह संकेत भी है उन उन कर्मठ कार्यकर्ताओं के लिए जो आशंकित थे कि उनके समर्पण के आगे सत्ता और मंत्रियों की परिक्रमा लगाने वाले लोग फिर से मौके का फायदा उठा ले जाएंगे।फिलहाल पहली सूची में समर्पित और मैदानी कार्यकर्ता की वैसे ही खुश नजर आ रहे हैं जैसा नगरी निकाय और पंचायत चुनाव में मौके के बाद, शेष बचे लोगों को दूसरी सूची का भी इंतजार है जिसमें पार्टी से उम्मीद रहेगी की ऐसी ही दरियादिली पार्टी के पुराने और कार्यक्रम समर्पित कार्यकर्ताओं पर बरकरार रखें ताकि उनका भी उत्साह पहली सूची वालों के समान ही बना रहे।