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4 करोड़ से अधिक लोग अंधेपन के शिकार, डॉक्टर ने आंखों को स्वस्थ रखने के लिए बताए दो मूल-मंत्र

नई दिल्ली : आंखें ईश्वर का वरदान हैं जिनकी मदद से हम दुनियाभर के खूबसूरत नजारों का आनंद ले पाते हैं। हालांकि पिछले एक-दो दशकों में आंखों से संबंधित कई प्रकार की बीमारियों को तेजी से बढ़ता हुआ देखा जा रहा है। इतना ही नहीं कम उम्र के लोगों में भी आंखों से संबंधित कई तरह की दिक्कतें जैसे समय से पहले चश्मा लगने, कम दिखने और गंभीर स्थितियों में अंधेपन तक का खतरा बढ़ गया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, ये दुनियाभर के लिए गंभीर चिंता का विषय है, जिसपर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।

दुनियाभर में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर लोगो में जागरूकता बढ़ाने और बीमारियों से बचाव को लेकर उन्हें शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

इस लेख में हम तेजी से बढ़ती आंखों की समस्याओं-अंधेपन के जोखिमों के बारे में जानेंगे।

बढ़ गया है अंधेपन का खतरा

आंकड़ों से पता चलता है कि 50 वर्ष और उससे अधिक आयु की आबादी के बीच अंधेपन और दूर-निकट दृष्टि हानि की समस्या सबसे अधिक देखी जाती है, हालांकि ये दिक्कत कम उम्र के लोगों में भी बढ़ी है। डेटा के मुताबिक साल 2020 में दुनियाभर में लगभग 43.3 मिलियन लोग अंधेपन से पीड़ित थे और 295 मिलियन लोगों को मध्यम और गंभीर दृष्टि हानि की दिक्कत रिपोर्ट की गई है।स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आंखों की समस्याओं पर सभी लोगों को ध्यान देते रहना और इससे बचाव को लेकर सावधानी बरतना जरूरी हो जाता है।क्या है विशेषज्ञ की राय?
वंदे मातरम से बातचीत में वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुरभि चौधरी बताती हैं, दृष्टि हानि क्वालिटी ऑफ लाइफ को प्रभावित करने वाली समस्या है। समय पर गुणवत्तापूर्ण आंखों की देखभाल और टेस्टिंग के माध्यम से समस्याओं का निदान और इसके जोखिमों को रोका जा सकता है। मोतियाबिंद,ग्लूकोमा, ड्राई आइज जैसी समस्याओं पर अगर शुरुआत में ही ध्यान दे दिया जाए तो इसके गंभीर दुष्प्रभावों और इसके कारण होने वाले अंधेपन की दिक्कत को रोका जा सकता है।
लाइफस्टाइल और आहार में गड़बड़ी आंखों की बढ़ती दिक्कतों का प्रमुख कारण हो सकती है, इसे ठीक रखने के साथ कम उम्र से ही दो उपाय आपकी आंखों से संबंधित गंभीर समस्याओं और अंधेपन के खतरे को काफी हद तक कम करने में मदद कर सकती हैं।

लाइफस्टाइल और आहार का रखें ध्यान
डॉ कहती हैं, लाइफस्टाइल और आहार को ठीक रखकर न सिर्फ आप आंखों बल्कि संपूर्ण शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। भोजन में कई रंग की सब्जियों-फलों को शामिल करना आंखों की सेहत के लिए बहुत आवश्यक है। अमेरिकन एकेडमी ऑफ ऑप्थल्मोलॉजी का कहना है कि गहरे रंग की हरी पत्तेदार सब्जियां ल्यूटिन और जेक्सैंथिन जैसे पोषक तत्व प्रदान करती हैं, जो पुरानी आंखों की बीमारियों को कम करते हैं। इसके अलावा नियमित व्यायाम करना और धूम्रपान से दूरी बनाना आंखों की बेहतर सेहत के लिए बहुत जरूरी है।

आंखों की नियमित जांच कराएं

डॉ सुरभि कहती हैं, आंखों की समस्याओं का अगर समय रहते निदान और इलाज हो जाए तो इससे किसी गंभीर समस्या के खतरे को कम किया जा सकता है इसलिए जरूरी है कि आप सालाना किसी विशेषज्ञ से आंखों की जांच जरूर कराते रहें, भले ही आपको किसी तरह की दिक्कत न हो। ये सावधानी भविष्य में होने वाली किसी समस्या से बचाने में मददगार हो सकती है।
बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए आंखों की सेहत का गंभीरता से ध्यान देते रहना जरूरी हो जाता है।

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